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Turmeric farming

दोगुना मुनाफा देने वाली हल्दी की खेती से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी

दोगुना मुनाफा देने वाली हल्दी की खेती से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी

किसान भाइयों आज के इस लेख में हम आपको ऐसे फसल के बारे में बताएंगे, जिसकी मांग खेती के साथ-साथ व्यवसाय में भी बहुत होती है। उस फसल का नाम है हल्दी। जी हाँ, हल्दी की मांग भोजन के साथ साथ व्यवसायिक क्षेत्र में इसके अंदर विघमान औषधीय गुणों की वजह से बनी रहती है। 

इसलिए किसान भाइयों के लिए हल्दी की खेती करना एक बड़े मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। यदि हल्दी की खेती के साथ-साथ आप हल्दी का कारोबार भी करते हैं, तो आपको और अधिक लाभ प्राप्त होगा। 

हल्दी के अंदर बहुत सारे औषधीय गुण विघमान होते हैं। अब ऐसे में यदि आप हल्दी की खेती करेंगे तो आपको तगड़ा मुनाफा हांसिल होगा। 

हल्दी की खेती कब और कैसे करें ? 

हल्दी की बुवाई मई-जून के दौरान की जाती है। हल्दी की खेती करने के लिए सर्वप्रथम खेत की 2-3 बार बेहतर ढ़ंग से जोत देना चाहिए। इससे मृदा भुरभुरी हो जाएगी। मिट्टी जितनी भुरभुरी होगी, उसमें हल्दी उतनी ही अच्छे ढ़ंग से बैठेगी।

खेत में जल निकासी की बेहतरीन सुविधा होनी जरूरी है, जिससे कि पानी ना रुके वरना हल्दी की फसल बर्बाद हो सकती है। हल्दी की खेती उसके छोटे-छोटे अंकुरित बीजों द्वारा की जाती है। 

हल्दी की खेती कतारबद्ध तरीके से की जाती है और थोड़ी बड़ी होने पर उस पर दोनों तरफ से थोड़ी-थोड़ी मिट्टी चढ़ा दी जाती है। 

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क्योंकि, इसकी वजह से हल्दी को फैलने और अच्छे से बैठने के लिए पर्याप्त मात्रा में मिट्टी और स्थान मिल जाता है। इसकी फसल लगभग 8 महीने में पककर तैयार हो जाती है। 

हल्दी की फसल की सबसे खास बात यह है, कि यह छायादार स्थान में भी शानदार उपज देती है। ऐसे में यदि आप बागवानी करते हैं, तो पेड़ों के मध्य की भूमि में आप हल्दी लगा सकते हैं और अतिरिक्त आय भी कर सकते हैं। 

हल्दी की खेती से कितनी उपज प्राप्त होगी ? 

हल्दी की खेती का उत्पादन काफी सीमा तक इस बात पर भी आश्रित होता है, कि आप किस गुणवत्ता का बीज लगाते हैं। हल्दी के बीज लेते समय ख्याल रखें, कि उन्हें शानदार ढ़ंग से उपचारित किया गया हो और उनमें बेहतर तरीके से अंकुर आ गया हो। 

बीज जितने मजबूत होंगे, आपकी फसल उतनी ही अच्छी होगी। इसके बीज आप अपने समीपवर्ती किसी बीज भंडार से ले सकते हैं अथवा फिर किसी ऐसे किसान से बीज प्राप्त कर सकते हैं, जिसने पहले हल्दी की खेती की हो। 

ये भी जानकारी कर लें कि आस-पास कोई सरकारी संस्था भी हल्दी के बीज उपलब्ध कराती है या नहीं। सरकारी संस्था से आपको बेहतरीन बीज भी काफी सस्ते भाव में मिल जाएंगे। एक हेक्टेयर में हल्दी की खेती के लिए आपको लगभग 20 क्विंटल तक बीज की आवश्यकता पड़ेगी। 

हल्दी की खेती में आने वाला खर्चा और लाभ  

हल्दी की खेती में लगभग 40-50 हजार रुपये का तो बीज ही लग जाएगा। वहीं, इसकी बुवाई से लेकर सिंचाई, उर्वरक और फिर कटाई तक में भी आपका लगभग 50 हजार रुपये की लागत आ जाएगी। 

मतलब कि 1 हेक्टेयर (करीब 2.5 एकड़) में हल्दी की खेती में आपकी करीब 1 लाख रुपये की लागत आ जाएगी। यदि आपकी फसल सही रहती है, तो आप एक हेक्टेयर से 200 क्विंटल तक हल्दी की उपज आसानी से हासिल कर सकते हैं। यह आराम से 160-180 क्विंटल तक मिल ही जाती है। 

यदि मान लें कि आपकी फसल औसत रहती है और आपको केवल 160 क्विंटल ही हल्दी हांसिल होती है तो भी आपको लाभ ही होगा। कच्ची हल्दी बाजार में बेचने से फायदा नहीं होता है, ऐसे में उसे उबालकर सुखाया जाता है और फिर पीसकर बेचा जाता है। 

सूखने के बाद हल्दी एक चौथाई रह जाती है। अर्थात आपकी हल्दी 40 क्विंटल के करीब रह जाएगी। अगर आप इसे बिना पीसे भी बेचना चाहते हैं तो भी आसानी से आपको 70-80 रुपये प्रति किलो का भाव मिल जाएगा। 

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यानी आपकी हल्दी 2.80-3.20 लाख रुपये तक की बिकेगी। इस तरह आपको हल्दी की खेती से केवल 8 माह में ही दोगुने से तीन गुने तक का मुनाफा मिलेगा। 

किसान इस तरह हल्दी की खेती से कमा सकते हैं अधिक मुनाफा   

यदि आप किसी फार्मा या कॉस्मेटिक कंपनी से पहले से ही कॉन्ट्रैक्ट कर लें, तो आपको काफी तगड़ा मुनाफा मिलेगा। ऐसा इस वजह से क्योंकि इस प्रकार खेती के माध्यम से आप पहले ही निश्चित कर पाएंगे कि किस किस्म की हल्दी उगानी है और कितनी मात्रा में उगानी है। 

यानी हल्दी उगाने के बाद आपको उसकी बिक्री की भी कोई चिंता नहीं रहेगी। इस तरह खेती में आप शानदार कीमत पहले ही निर्धारित कर सकते हैं और हल्दी को प्रोसेस कर के पीसकर या बिना पीसे सीधे कंपनी को भेज सकते हैं। इससे कंपनियों को बेहतरीन हल्दी मिलेगी और आपको शानदार कीमत हांसिल होगी।

पीली हल्दी की जगह काली हल्दी की खेती कर किसान कम लागत में अधिक आय कर रहा है

पीली हल्दी की जगह काली हल्दी की खेती कर किसान कम लागत में अधिक आय कर रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि काली हल्दी की खेती करने पर पानी की खपत कम होती है। यदि आप एक एकड़ में काली हल्दी की खेती करते हैं, तो आपको 50 से 60 क्विंटल तक पैदावार मिलेगा। 

साथ ही, एक एकड़ से 10 से 12 क्विंटल तक सूखी हल्दी का उत्पादन होगा। ऐसे में काली हल्दी की खेती करने पर काफी अच्छी खासी आमदनी होती है। लोगों का मानना है, कि हल्दी केवल पीले रंग की ही होती है। 

परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। दरअसल, हल्दी काले रंग की भी होती है। विशेष बात यह है, कि काली हल्दी का भाव भी पीली हल्दी की तुलना में ज्यादा होता है। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधियां बनाने में किया जाता है। 

इसमें पीली हल्दी की तुलना में विटामिन्स और मिनिरल्स भी ज्यादा पाए जाते हैं। यही कारण है, कि अब बिहार में एक किसान ने इसकी खेती भी चालू कर दी है। इससे किसान की काफी मोटी आमदनी हो रही है।

काली हल्दी की खेती करने वाला किसान कमलेश

जानकारी के अनुसार, काली हल्दी की खेती करने वाले किसान का नाम कमलेश चौबे है। वे पूर्वी चम्पारण के नरकटियागंज प्रखंड स्थित मुशहरवा गांव के मूल निवासी हैं। 

उन्होंने अभी एक कट्ठे भूमि पर काली हल्दी की खेती चालू की है। उन्होंंने एक कट्ठे जमीन में 25 किलो काली हल्दी की बुवाई की थी, जिससे लगभग डेढ़ क्विंटल हल्दी का उत्पादन हुआ है। इससे उन्हें काफी अच्छी आमदनी हो रही है। 

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किसान हल्दी विक्रय से कितना कमा सकते हैं

विशेष बात यह है, कि कमलेश ने काली हल्दी का उत्पादन करने के लिए नागालैंड से इसके बीज इंपोर्ट किए थे। बतादें, कि एक किलो बीज 500 रुपये में आए थे। ऐसी स्थिति में 25 किलो बीज खरीदने के लिए उन्हें साढ़े 12 हजार रुपये का खर्चा करना पड़ा। 

वर्तमान में बाजार के अंदर काली हल्दी की कीमत 500 से 5000 रुपये किलो के मध्य है। यदि कमलेश 1000 रुपये किलो भी काली हल्दी बेचते हैं, तो 150 किलो हल्दी विक्रय के उपरांत उन्हें डेढ़ लाख रुपये की आमदनी होगी।

काली हल्दी में कितने तत्व विघमान होते हैं

कृषि वैज्ञानिक अभिक पात्रा के अनुसार काली हल्दी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होती है। इससे बहुत सारी औषधीय दवाइयां निर्मित की जाती हैं। पीली हल्दी की अपेक्षा में इसकी कीमत बहुत गुना अधिक होती है। 

वर्तमान में उत्तराखंड के किसान भी इसकी बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। काली हल्दी में एंथोसायनिन ज्यादा मात्रा में विघमान होता है। इस वजह से यह गहरे बैंगनी रंग की दिखती है। 

साथ ही, काली हल्दी में एंटी अस्थमा, एंटीऑक्सिडेंट, एंटीफंगल, एंटी- कॉन्वेलसेंट, एनाल्जेसिक, एंटीबैक्टीरियल और एंटी-अल्सर जैसे विशेष गुण मौजूद होते हैं।

गर्मियों में हल्दी की खेती कर किसान शानदार उत्पादन उठा सकते हैं

गर्मियों में हल्दी की खेती कर किसान शानदार उत्पादन उठा सकते हैं

रबी की फसलों की कटाई का समय आ गया है। अब कुछ दिनों के बाद हल्दी उत्पादक किसान हल्दी की खेती के लिए बुवाई शुरू करेंगे। संपूर्ण भारत के करीब हर घर में सामान्यतः हल्दी का उपयोग किया जाता है। यह एक काफी ज्यादा महत्वपूर्ण मामला है। भारत के अंदर इसकी खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है। 

बहुत सारे राज्यों में इसका उत्पादन किया जाता है। हल्दी की खेती करने के दौरान किसान भाइयों को कुछ विशेष बातों का खास ध्यान रखना होता है। ताकि उनको हल्दी उत्पादन से तगड़ा मुनाफा प्राप्त हो एवं उन्हें बेहतरीन उपज हांसिल हो सके।

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हल्दी की खेती के लिए रेतीली दोमट मृदा या मटियार दोमट मृदा काफी अच्छी होती है। हल्दी की बिजाई का समय भिन्न-भिन्न किस्मों के आधार पर 15 मई से लेकर 30 जून के मध्य होता है। 

वहीं, हल्दी की बुवाई के लिए कतार से कतार का फासला 30-40 सेमी और पौध से पौध की दूरी 20 सेमी रखनी चाहिए। हल्दी की बुवाई के लिए 6 क्विंटल प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है।

हल्दी की फसल कितने समय में तैयार होती है ?

हल्दी की खेती के लिए खेत में जल निकासी की बेहतरीन व्यवस्था होनी चाहिए। हल्दी की फसल 8 से 10 माह के अंदर तैयार हो जाती है। सामन्यतः फसल की कटाई जनवरी से मार्च के दौरान की जाती है। फसल के परिपक्व होने पर पत्तियां सूख जाती हैं और हल्के भूरे से पीले रंग में बदल जाती हैं। 

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हल्दी की खेती काफी सुगमता से की जा सकती है और इसे छाया में भी आसानी से उगाया जा सकता है। किसानों को इसकी खेती करते समय नियमित तौर पर निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, जिससे खरपतवारों की वृद्धि रुकती है और फसल को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। 

हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु  

दरअसल, हल्दी गर्म एवं उमस भरी जलवायु में बेहतरीन ढंग से उगती है। इसके लिए 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है। हल्दी के लिए अच्छी जल निकासी वाली, दोमट अथवा बलुई दोमट मृदा अच्छी होती है। 

मिट्टी का पीएच 6.5 से 8.5 के मध्य होना चाहिए। हल्दी की अच्छी पैदावार के लिए खाद का उचित इस्तेमाल करना आवश्यक है। गोबर की खाद, नीम की खली और यूरिया का इस्तेमाल काफी लाभदायक होता है। कटाई की बात की जाए तो हल्दी की फसल 9-10 माह के अंदर पककर तैयार हो जाती है। कटाई होने के बाद इसे धूप में सुखाया जाता है। 

हल्दी को तैयार होने में कितना समय लगता है ? 

हल्दी की बुवाई जून-जुलाई महीने के दौरान की जाती है। बुवाई के लिए स्वस्थ और रोग मुक्त कंदों का चुनाव करना बेहद आवश्यक है। सिंचाई की बात की जाए तो इसे नियमित तौर पर सिंचाई की जरूरत होती है। 

किसान भाइयों को इसकी खेती करने के दौरान नियमित रूप से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए, जिससे खरपतवारों का खतरा समाप्त एवं फसल को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। फसल कटाई की बात की जाए तो हल्दी की फसल 9-10 महीने के अंदर पककर तैयार हो जाती है।

हल्दी की बेहतरीन किस्में इस प्रकार हैं ?

समयावधि के आधार पर इसकी किस्मों को तीन भागों में विभाजित की गई हैं 

  1. शीघ्र काल में तैयार होने वाली ‘कस्तुरी’ वर्ग की किस्में - रसोई में उपयोगी, 7 महीने में फसल तैयार, शानदार उपज। जैसे-कस्तुरी पसुंतु।
  2. मध्यम समय में तैयार होने वाली केसरी वर्ग की किस्में - 8 महीने में तैयार, अच्छी उपज, अच्छे गुणों वाले कंद। जैसे-केसरी, अम्रुथापानी, कोठापेटा।
  3. दीर्घ काल में तैयार होने वाली किस्में - 9 महीने में तैयार, सबसे अधिक उपज, गुणों में सर्वेश्रेष्ठ। जैसे दुग्गीराला, तेकुरपेट, मिदकुर, अरमुर। व्यवसायिक स्तर पर दुग्गीराला व तेकुपेट की खेती इनकी उच्च गुणवत्ता की वजह से की जाती है। इसके अतिरिक्त सुगंधम, सुदर्शना, रशिम, मेघा हल्दी-1, मीठापुर और राजेन्द्र सोनिया हल्दी की अन्य किस्में है। 

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जैविक ढंग से खेती करना सर्वोत्तम विकल्प है 

विशेषज्ञों की मानें तो हल्दी की खेती के लिए जैविक विधि का इस्तेमाल करना बेहद आवश्यक है। इसकी फसल को मिश्रित खेती के रूप में भी उगाया जा सकता है। हल्दी की उन्नत किस्मों की खेती करके किसान भाई अधिक उपज हांसिल कर सकते हैं। 

हल्दी की खेती को कमाई वाली फसल कहने के पीछे की वजह

हल्दी की खेती को कमाई वाली फसल कहने के पीछे की वजह

कृषक भाई हल्दी की खेती कर काफी शानदार मुनाफा हांसिल कर सकते हैं। हल्दी की मांग विदेशों में बेहद अधिक है। हल्दी की खेती करने से कृषकों को काफी लाभ होगा। भारत के तकरीबन हर घर में हल्दी का उपयोग किया जाता है। इसकी खेती कर कृषक भाई काफी शानदार धन अर्जित कर सकते हैं, जिसकी संपूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। जानकारी के लिए बतादें, कि हल्दी की खेती को आमदनी वाली फसल के नाम से जाना जाता है। बतादें कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि ये विभिन्न कार्यों में उपयोग होने वाली फसल है। इसकी मांग सदैव बनी रहती है। हल्दी का उपयोग मसाले, औषधि, ब्यूटी प्रोडक्ट्स और अन्य बहुत सारे उत्पादों में होता है। इसके साथ ही हल्दी की खेती के दौरान ज्यादा पानी अथवा फिर सिंचाई की जरूरत नहीं होती है। यह एक ऐसी फसल है, जो कम खर्चा में उग सकती है। साथ ही, इससे काफी बेहतरीन आमदनी की जा सकती है।

हल्दी की खेती में आने वाली लागत

अगर आप एक हेक्टेयर भूमि में हल्दी की खेती करने के बारे में सोच रहे हैं, तो लगभग 10,000 रुपये के बीज, 10,000 रुपये की खाद एवं मजदूरी शुल्क जो उस वक्त लागू हो वह आपको देना पड़ेगा। हल्दी की खेती से होने वाली आमदनी विशेष रूप से उत्पादन पर निर्भर होती है। एक हेक्टेयर भूमि में हल्दी का औसत उत्पादन 20-25 क्विंटल तक का होता है। अगर हल्दी की कीमत 200 रुपये किलो है, तो एक हेक्टेयर में हल्दी की खेती से लगभग 5 लाख तक की आमदनी की जा सकती है।

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हल्दी की जल निकासी व बाजार में मांग

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हल्दी की खेती करने के लिए शानदार जल निकासी वाली मृदा को चुनें। हल्दी की खेती करने के लिए जैविक खाद का उपयोग करें। हल्दी की खेती के दौरान कीटों एवं बीमारियों से संरक्षण के लिए समुचित उपाय करें। फसल को सही वक्त पर खेत से निकाल लें। बाजार के अंदर हल्दी की काफी मांग है। भारत ही नहीं बल्कि विदेश में भी हल्दी की बेहद मांग है। आप हल्दी को ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से भी अच्छी कीमतों में बेच सकते हैं।